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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के लिए योजनाएं



पति की मृत्यु उपरान्त निराश्रित महिला पेंशन

योजना के अन्तर्गत पात्र लाभार्थियों को रू0 1000/- प्रतिमाह पेंशन का भुगतान किया जाता है। इस योजना के अन्तर्गत 18 वर्ष से अधिक आयु की ऐसी महिलाएं जो उत्तर प्रदेश की स्थायी निवासी हो व उनके पति की मृत्यु हो चुकी हो तथा उनकी पारिवारिक वार्षिक आय रु 2.00 लाख से अधिक न हो को पात्र लाभार्थियों के रूप में उनके बैंक खाते में हस्तान्तरित की जाती है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में पति की मृत्यु उपरान्त निराश्रित महिला पेंशन योजना के अन्तर्गत कुल 17.31 लाख लाभार्थियों को पेंशन का लाभ प्रदान किया जा रहा था। जबकि मात्र 6 वर्षों में ही, इस योजना के अन्तर्गत कुल 11.31 लाख नए लाभार्थी महिलाओं को चिन्हित कर योजना से जोड़ा गया है। इस प्रकार योजना के अंतर्गत अब कुल 28.62 लाख महिलाओं को पेंशन दी जा रही है।

ऑनलाइन आवेदन:




मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना

प्रदेश में समान लिगांनुपात स्थापित करने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, बालिकाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा को सुदृढ करने, बालिकाओं के परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करने तथा बालिका के प्रति आम जन में सकारात्मक सोच विकसित करने हेतु वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की शुरू की गयी है। योजना के अन्तर्गत ऐसे लाभार्थी पात्र होते हैं जिनका परिवार उत्तर प्रदेश का निवासी हो, जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय अधिकतम रू0 3.00 लाख तथा जिनके परिवार में अधिकतम् दो बच्चे हों। कुल 6 श्रेणियों में जन्म के समय रू0 2000/- एक वर्ष के टीकाकरण पूर्ण करने पर रू0 1000/-, कक्षा-1 में प्रवेश के समय रू0 2000/-, कक्षा-6 में प्रवेश के समय रू0 2000/-, कक्षा-9 में प्रवेश के समय रू0 3000/- तथा दसवीं / बारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण कर डिग्री या दो वर्षीय या अधिक के डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लेने पर रू0 5000/- प्रदान किये जाते हैं। योजना के अन्तर्गत अब तक कुल 15.87 लाख पात्र बालिकाओं को लाभान्वित किया गया है।



ऑनलाइन आवेदन:




बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

योजना का उद्देश्य गिरते हुए लिंगानुपात में सुधार करना, बालिकाओं की शिक्षा को प्रोत्साहन देना तथा बालिका के प्रति आम जन में सकारात्मक सोच विकसित करना है। योजना के अंतर्गत विभिन्न माध्यमों यथा- नाटक / नुक्कड, बैनर, पोस्टर, वॉल राइटिंग, जनसभा, रेडियो जिंगल, विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं, कार्यशालाओं आदि समारोहों का आयोजन कर जनमानस मे जन जागरूकता फैलाई जा रही है। यह योजना प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में संचालित है। योजना के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में कुल 9,234 गतिविधियों के माध्यम से 12.94 लाख महिलाओं तथा बालिकाओं को जागरूक किया गया है।






रानी लक्ष्मीबाई बाल एवं महिला सम्मान कोष

महिलाओं व बालिकाओं के विरूद्ध होने वाले जघन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं के प्रति प्रदेश सरकार अत्यंत संवेदनशील है। कोष के अंर्तगत जघन्य अपराध से पीडित महिलाओं व बालिकाओं को 1 लाख से 10 लाख रूपये की आर्थिक क्षतिपूर्ति प्रदान की जाती है। साथ ही निशुल्क चिकित्सा सुविधा का भी प्रावधान किया गया है। योजना के अंर्तगत वर्ष 2022-23 में अभी तक कुल 701 महिलाओं तथा बालिकाओं को यह सहायता दी गई हैं जिसके साथ ही योजना के अंतर्गत कुल 6,481 महिलाओं तथा बालिकाओं को क्षतिपूर्ति धनराशि दी गई है।





181-महिला हेल्पलाईन

महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा तथा सामाजिक, आर्थिक सशक्तीकरण हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 181- महिला हेल्पलाईन के रूप में पहल की गयी है। 181 एक टोल फ्री नम्बर है, जो 24x7 कार्य करता है। महिला हेल्पलाईन पर कोई भी महिला एवं बालिका जो विषम परिस्थितियों से ग्रस्त हो अथवा उसको किसी भी अन्य प्रकार की समस्या या आवश्यकता की पूर्ति या सलाह की आवश्यकता हो, टोल फ्री नम्बर पर कॉल कर सहायता प्राप्त कर सकती है। इस हेल्पलाईन को वर्ष 2020-21 में 112 केन्द्रीयकृत कॉल सेन्टर लखनऊ के साथ समेकित किया गया है। विषम परिस्थिति से ग्रस्त महिला द्वारा कॉल करने पर कॉल सेन्टर की प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा महिला को परामर्श दिया जाता है। योजना के प्रारंभ से अभी तक योजना के अन्तर्गत 5.57 लाख महिलाओं को सहायता प्रदान की गई है।





वन स्टाप सेंटर

योजना में हिंसा से पीड़ित महिलाओं को समस्त आवश्यक सेवायें जैसे पीड़ित महिला को अल्प प्रवास (पॉच दिवस), चिकित्सकीय सहायता, परामर्शी सेवायें, विधिक सहायता एवं पुलिस सहायता इत्यादि एक ही छत के नीचे उपलब्ध करायी जाती है। वर्तमान में प्रदेश के सभी जनपदों में वन स्टाप सेंटर का संचालन किया जा रहा है। योजना की शुरूवात से अभी तक प्रदेश के वन स्टॉप केन्द्रों को कुल 1.49 लाख केस संर्दभित किये गये हैं।






उ०प्र० मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना

प्रदेश में कोविड-19 महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के उनके भरण-पोषण, शिक्षा, चिकित्सा आदि की व्यवस्था हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश में 'उ०प्र० मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना' प्रारम्भ की गयी है। ऐसे बच्चों को रू0-4000/- प्रति माह की सहायता दी जा रही है। 11 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों की शिक्षा-12 तक की निःशुल्क शिक्षा हेतु अटल आवासीय विद्यालयों तथा कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेश कराया जाएगा। प्रदेश सरकार उपरोक्त प्रकार की बालिकाओं के शादी योग्य होने पर शादी हेतु रू0-101000/- (एक लाख एक हजार) की राशि उपलब्ध करा रही है। साथ ही उपरोक्त श्रेणी के अन्तर्गत आने वाले कक्षा-9 या इससे ऊपर की कक्षा में अथवा व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 वर्ष तक के बच्चों को Tablet/Laptop की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। अब तक प्रदेश में 13,895 ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता दोनों या माता या पिता में से किसी एक की मृत्यु कोविड से हुयी है को चिन्हित कर, निरंतर त्रैमासिक रूप में अग्रिम धनराशि प्रेषित की जा रही है। 3,550 बच्चों को लैपटाप वितरित किये जा चुके हैं।






उ०प्र० मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य)

सरकार द्वारा अगस्त 2021 में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) शुरू की गई है। योजना के अंतर्गत 18 साल से कम उम्र के ऐसे बच्चे जिन्होंने कोरोना से इतर कारणों से पहली मार्च 2020 के बाद माता-पिता दोनों या किसी एक को अथवा अभिभावक को खोया है, उनको प्रतिमाह 2500 रूपये की मदद पहुंचाई जा रही है। उक्त श्रेणी में आने वाले 18 से 23 साल के किशोर जिन्होंने कक्षा 12 की परीक्षा उत्तीर्ण कर राजकीय डिग्री कालेज, विश्वविद्यालय अथवा तकनीकी संस्थान से स्नातक की डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त करना चाह रहे हैं, उन्हें लाभान्वित किया जायेगा। इसके अलावा नीट, जेईई व क्लैट जैसे राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले मेधावी छात्रों को 23 वर्ष की आयु पूरी होने या स्नातक शिक्षा अथवा मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थान से डिप्लोमा प्राप्त करने में जो भी पहले हो तक इस योजना का लाभ दिया जायेगा। योजना के अंतर्गत अभी तक कुल 20,632 बच्चों को चिन्हित कर लाभान्वित किया गया है।





मिशन वात्सल्य

प्रदेश में वर्तमान में मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत बच्चों के संरक्षण हेतु आधुनिक तकनीक, शिक्षा के बेहतर अवसर, कौशल विकास व रोज़गार से लिंकेज की उच्च स्तरीय सुविधाओं के साथ संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है। कुल 58 राजकीय संस्थायें (27 राजकीय सम्प्रेक्षण गृह, 08 बाल गृह (बालक), 05 बाल गृह (बालिका), 05 बाल गृह (शिशु), 05 विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरण, 02 विशेष गृह, 01 प्लेस ऑफ सेफ्टी, 05 पश्चात्वर्ती देख रेख संगठन) संचालित है। साथ ही पी०पी०पी० माडल के अन्तर्गत् स्वैच्छिक संगठनों के सहयोग से जनपद लखनऊ में विशेषीकृत बच्चों के लिए 2 राजकीय विशेषीकृत संस्थायें संचालित है। जनपद रायबरेली, चित्रकूट, मिर्जापुर, कानपुर नगर का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि इनमें आवासित बच्चों को आत्मनिर्भर बनने हेतु बेहतर अवसर उपल्ब्ध कराये जा सकें। विभाग द्वारा संचालित गृहों में निवासरत् बच्चों की काउंसलिंग हेतु स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से साइकोसोशल काउंसलर नियुक्त किये गये हैं। वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक कुल 1275 बालकों को दत्तक ग्रहण के माध्यम से पुर्नवासित किया गया है। गत वर्ष अभी तक 1007 बच्चों को स्पॉन्सरशिप से तथा 05 बच्चों को फॉस्टर केयर के अंतर्गत लाभान्वित किया गया है। प्रदेश में वर्ष 2017-18 से 2023-24 में अभी तक कुल 75,811 बच्चों को उनके माता-पिता / अभिभावकों से मिलाया गया। साथ ही विगत वर्षों में इन गृहों से 3,500 से अधिक किशोर-किशोरियों और महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया गया है। बाल विवाह की रोकथाम हेतु राज्य स्तरीय निगरानी समिति तथा जनपद स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है तथा 1436 से अधिक संभावित बाल विवाह रूकवाये गये हैं। प्रदेश द्वारा बाल विवाह अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु नियम भी बनाये जा रहे हैं।





निराश्रित महिलाओं हेतु आश्रय सुविधा

प्रदेश में महिलाओं के संरक्षण व पुनर्वास हेतु 09 महिला शरणालय, 1 संरक्षण गृह, 1 मानसिक मंदित महिलाओं हेतु प्रकोष्ठ, 1 राजकीय वृद्ध एवं अशक्त गृह तथा 13 शक्ति सदन का संचालन किया जा रहा है, जिनमें लगभग 700 महिलायें निवासरत् हैं। जिनके माध्यम से मानव देह व्यापार से पीड़ित, संरक्षण की आवश्यकता वाली, सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक आपदाओं द्वारा बेघर, घरेलू हिंसा, पारिवारिक कलह एवं वैश्यालयों या अन्य जगहों पर शोषण से पीडित महिलाओं तथा बालिकाओं को आश्रय सहित कौशल विकास तथा समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। वृन्दावन में निराश्रित महिलाओं के पुनर्वासन तथा जीवन यापन में सुधार हेतु 1000 महिलाओं की आवासीय क्षमता के आश्रय सदन कृष्ण कुटीर' का संचालन विभाग द्वारा किया जा रहा है। साथ ही कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित एवं किफयती आवासीय सुविधा उपलब्ध कराये जाने हेतु 8 सखी निवास (वर्किंग वूमेन हॉस्टल) का संचालन किया जा रहा है।






बच्चों तथा महिलाओं संबंधी विभिन्न अधिनियमों का क्रियान्वयन

हानिकारक प्रथाओं जैसे कि समय पूर्व बाल विवाह, बाल श्रम, बाल भिक्षावृति, बाल यौन शेषण सहित महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, दहेज, कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न आदि मुददों से संबंधित अधिनियमों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु विभाग द्वारा विभिन्न गतिविधियों का संचालन, प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा संवेदीकरण कार्यशालायें की जा रही हैं। जनपद स्तर दहेज प्रतिषेध अधिकारियों, बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों को नियुक्त किया गया है। साथ ही साथ कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीडन रोकने हेतु अधिनियम के अंतर्गत ऐसे सभी राजकीय व गैरसरकारी/निजी कार्यालयों जहाँ कार्मिकों की संख्या 10 या उससे अधिक है, में आंतरिक परिवाद समिति तथा जनपद स्तर पर स्थानीय परिवाद समितियों का गठन कराया गया है।