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सर्वाइकल कैंसर क्या है



-> यह गर्भाशय के निचले हिस्से यानी गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में होता है।
-> भारत में हर दिन लगभग 200 महिलाओं की मृत्यु इस कैंसर की वजह से होती है।
-> इसका मुख्य कारण हाई-रिस्क HPV वायरस का लंबे समय तक शरीर में बना रहना है।
-> समय पर जांच और वैक्सीनेशन से इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।




लक्षण और संकेत

-> अनैच्छिक वजन कम होना
-> थकान या कमजोरी महसूस होना
-> संभोग के बाद या मासिक धर्म के बीच असामान्य रक्तस्राव
-> कमर के निचले हिस्से में दर्द
-> श्रोणि (पेल्विक) क्षेत्र में दर्द या असहजता
-> खून या दुर्गंधयुक्त योनि स्राव
-> अत्यधिक भारी मासिक धर्म
-> पेशाब करते समय दर्द होना




कारण और जोखिम

-> HPV वायरस (टाइप 16 और 18) का बार-बार संक्रमण
-> धूम्रपान
-> कमजोर इम्यून सिस्टम
-> एक से ज्यादा यौन साथी
-> लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल
-> सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन जैसे क्लैमाइडिया
-> गरीबी और कम सामाजिक स्तर
-> परिवार में कैंसर का इतिहास
-> नियमित Pap टेस्ट न कराना (जांच की शुरुआत 21 साल की उम्र से करें)




एचपीवी संक्रमण कैसे फैलता है


1. यौन संपर्क से

-> HPV यौन संबंध (vaginal, anal, oral) के माध्यम से फैलता है।
-> संक्रमित व्यक्ति बिना लक्षणों के भी वायरस फैला सकता है।


2. गैर-यौन संपर्क से

-> केवल त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने से भी HPV फैल सकता है।
-> यह फैल सकता है संक्रमित जगह को छूने से
-> हाथ धोए बिना मस्सों को छूने से




3. माँ से बच्चे में

-> यह जन्म के दौरान या गर्भ में अम्नियोटिक द्रव या प्लेसेंटा के जरिए हो सकता है।
-> डिलीवरी के समय भी बच्चे में संक्रमण हो सकता है।

HPV दुनिया में सबसे आम यौन संक्रमणों में से एक है। हर 10 में से 8 महिलाएं कभी न कभी HPV से संक्रमित हो जाती हैं। HPV वैक्सीन प्राकृतिक संक्रमण से बेहतर सुरक्षा देती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करती है।


जांच और स्क्रीनिंग के तरीके


मुख्य टेस्ट

-> पैप स्मीयर टेस्ट: कैंसर से पहले की कोशिकाओं का पता चलता है
-> HPV DNA टेस्ट: हाई-रिस्क HPV टाइप्स को पहचानता है
-> कोलपोस्कोपी: अगर टेस्ट में कोई गड़बड़ी मिले तो आगे की जांच

स्क्रीनिंग

-> 21–29 साल की महिलाएं: हर 3 साल में पैप स्मीयर
-> 30–65 साल की महिलाएं: हर 5 साल में पैप + HPV टेस्ट


सर्वाइकल कैंसर से बचाव


-> HPV वैक्सीन लेना (सर्वावैक, गार्डासिल)
-> नियमित जांच करवाना (पैप स्मीयर, HPV टेस्ट)
-> सुरक्षित यौन संबंध
-> धूम्रपान ना करना


HPV सुरक्षा के लिए वैक्सीन


उपलब्ध वैक्सीन

-> सर्वावैक: भारत की पहली देसी और किफायती वैक्सीन
-> गार्डासिल / गार्डासिल 9: HPV 6, 11, 16, 18 से सुरक्षा देती है

सर्वावैक की खासियत

-> सस्ती और आसानी से उपलब्ध
-> खतरनाक HPV टाइप्स से मज़बूत सुरक्षा
-> 9 से 26 साल की लड़कियों और महिलाओं के लिए उपयुक्त




सर्वावैक की डोज़


9–14 साल की लड़कियों के लिए
-> दो डोज़
-> पहली – तय तारीख पर
-> दूसरी – पहली के 6 महीने बाद

15–26 साल की लड़कियों/महिलाओं के लिए
-> तीन डोज़
-> पहली – तय तारीख पर
-> दूसरी – पहली के 2 महीने बाद
-> तीसरी – पहली के 6 महीने बाद


वैक्सीन से जुड़े मिथक और सच्चाई


-> मिथक: HPV वैक्सीन से यौन गतिविधि बढ़ती है
-> सच्चाई: यह केवल कैंसर पैदा करने वाले वायरस से बचाव करता है

-> मिथक: केवल यौन रूप से सक्रिय महिलाओं को ही वैक्सीन की जरूरत है
-> सच्चाई: वैक्सीन HPV संपर्क से पहले सबसे असरदार होती है

-> मिथक: वैक्सीन सुरक्षित नहीं है
-> सच्चाई: यह पूरी तरह से जांची-परखी और सुरक्षित है

वैक्सीन के फायदे और हल्के साइड इफेक्ट




फायदे

-> ज़्यादातर सर्वाइकल कैंसर से बचाव
-> इलाज का खर्च कम करता है
-> लंबे समय तक इम्यूनिटी देता है

हल्के साइड इफेक्ट

-> इंजेक्शन वाली जगह पर हल्का दर्द
-> बुखार या थकान
-> हल्का चक्कर या जी मिचलाना (कभी-कभी)


जानकारी रखें, सुरक्षित रहें!